चाचौड़ा :- आज विधानसभा चाचौड़ा अंतर्गत निज ग्राम पैंची के मतदान केंद्र क्रमांक 188 एवम 189 पर एकात्म मानववाद, अंत्योदय' के प्रणेता, प्रखर राष्ट्रवादी एवं महान विचारक व भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य, श्रद्धेय पंडित श्री दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मजयंती मनाई गई। तदोपरांत भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कराई एवं अन्य लोगो को भी अधिक से अधिक भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने हेतु प्रेरित किया। इस दौरान क्षेत्रीय विधायक प्रियंका पैंची पंडित दीनदयाल जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोई राजनीतिक दल इतने कम समय में एक विचार, एक राजनीतिक व्यवस्था, एक राजनीतिक दल, विपक्ष से लेकर विकल्प तक की यात्रा को पार कर ले तो इसे क्या कहेंगे? कोई इसे चमत्कार कह सकता है, लेकिन यह चमत्कार नहीं बल्कि संगठन आधारित राजनीति का अद्भुत उदाहरण है । जनसंघ से भाजपा के उदय तक पार्टी ने विपक्ष से राजनीति के मजबूत विकल्प का सफर तय किया है तो उसकी नींव डालने वाले व्यक्तित्व थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी । उन्होंने संगठन आधारित राजनीतिक दल का एक पर्याय देश में खड़ा किया । उसी का परिणाम है कि भारतीय जनसंघ से लेकर के भारतीय जनता पार्टी तक संगठन आधारित राजनीतिक दल अपनी अलग पहचान रखता है । डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते थे, अगर मेरे पास एक दो और दीनदयाल हों तो मैं हिंदुस्तान की राजनीति का चरित्र बदल सकता हूं दरअसल पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का उद्देश्य ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक नई श्रेणी तैयार करना था जिसका एक स्वतंत्र चिंतन हो, राष्ट्रभक्ति से प्रेरित हो और राष्ट्र-समाज को समर्पित हो. उन्होंने अपनी पूरी शक्ति संगठन को वैचारिक अधिष्ठान देने, कार्यकर्ता के निर्माण और संगठन के विस्तार में लगा दी । आज संघ और भाजपा जिस मुकाम पर है उस विचार की नींव पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही डाली थी । एक वक़्त था जब पंडित जवाहरलाल नेहरु के दौर यह माना जाता था कि देश में कांग्रेस का ही शासन रहेगा लेकिन नेहरू के बाद कौन? पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी का राज था लेकिन अचानक 1962 से 1967 के बीच एक ऐसा राजनीतिक खालीपन आया कि देश को लगा कि इस रिक्तता को कौन भरेगा? पंडित दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि की वजह से ही वैकल्पिक राजनीति का दौर आया । लेकिन पंडित दीनदयाल का विचार संगठन तक सीमित नहीं था, उनका आर्थिक दर्शन भाजपा की राजनीति का केंद्र है । दीनदयाल जी कहते थे- “आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज के ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं, बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा.” बचपन में ही माता-पिता को खोने वाले पंडित जी अभाव की पीड़ा को बखूबी महसूस करते थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य के लिए अपना जीवन अर्पित करने वाले पंडित जी 1951 तक संघ में विभिन्न पदों पर रहकर समाज चेतना का कार्य करते रहे. 1951 में जनसंघ की स्थापना हुई तब से उन्होंने अपनी सेवाएं जनसंघ को अर्पित कर दी. स्वदेशी को जीवन में आत्मसात करने वाले दीनदयाल उपाध्याय उच्च कोटि के पत्रकार थे. सरकारी नौकरी में चुने जाने के बाद भी समाज-राष्ट्र को चुना. उनका कहना था- “समाज की अंतिम सीढ़ी पर जो बैठा हुआ है; दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, गांव हो, गरीब हो, किसान हो… सबसे पहले उसका उदय होना चाहिए । राष्ट्र को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए समाज को अंतिम सीढ़ी पर ये जो लोग हैं उनका सामाजिक, आर्थिक विकास करना होगा.” । कार्यक्रम के दौरान संभागीय प्रभारी विजय दुबे, सरपंच प्रतिनिधि दिलीप मीना सहित भाजपा कार्यकर्ता एवम ग्रामीणजन उपस्थित रहे।